बड़ी लापरवाही : नवजात शिशु मृत्यु मामले मे अगर हो जाती कार्यवाही तो शायद 33 वर्षीय खेमसिंग ध्रुव क़ी बच जाती जान??…
◆ आखिर बार-बार के लापरवाह अस्पताल पर जिला प्रशासन इतनी मेहरबान क्यों??…
गरियाबंद/छुरा- श्री संकल्प छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा मे एक बार फिर बड़ी लापरवाही सामने आई है। वही एक माह पहले राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कमार जनजाति गर्भवती महिला के नवजात शिशु इलाज में भारी लापरवाही क़ी गई जिससे नवजात शिशु क़ी मौत हो गईं। जिसकी जांच जिला प्रशासन द्वारा अभी तक करती आ रही है।
वही फिर छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल के बारे में बड़ी लापरवाही सामने आई। बता दें क़ी छुरा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कामराज निवासी खेमसिंग ध्रुव पिता भुवन सिंग ध्रुव 20/09/2024 को इलाज कराने छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा गए.जहाँ मृतक खेमसिंग ध्रुव का इलाज किया। इंजेक्शन और बॉटल लगाया गया इलाज के बाद खेमसिंग ध्रुव को वापस घर भेजा गया। रात में दवाई डॉक्टर के बताएं अनुसार खाए. दवाई लेने के बाद सुबह तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगा जिसे देखते हुए 21.9.2024 को वापस छत्तीसगढ़ मिशन हॉस्पिटल छुरा में फोन लगाया गया जिसके बाद अस्पताल द्वारा एंबुलेंस गाड़ी भेजा गया और एंबुलेंस छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा ले जाने के नाम पर मृतक खेमसिंग ध्रुव एवं उनकी मां एवं पत्नी साथ लेकर गया और छत्तीसगढ़ मिशन हॉस्पिटल छुरा न ले जाकर जबरदस्ती बिना परिवार वालों की मर्जी एवं बगैर किसी जानकारी के सोहम हॉस्पिटल महासमुंद ले जाया गया। सोहम हॉस्पिटल महासमुंद मे कुछ घंटे बाद खेमसिंग ध्रुव क़ी मृत्यु हो जाती है। आखिर छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा में मरीज खेमसिंग का किस तरह इलाज किया गया यह संदेह के घेरे में आता है क्योंकि एक चलता फिरता आदमी 48 घंटे में मौत क़ी नीद सो जाता है।
इस दूसरी घटना मे जिम्मेदार कौन, जिला प्रशासन द्वारा समय मे कार्यवाही होती तो घटना नही होती,आखिर बार बार लापरवाह अस्पताल पर जिला प्रशासन मेहरबान क्यों??…
आखिर कब तक इस तरह की लापरवाही पूर्वक इलाज करने वाले छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल पर जिला प्रशासन इतनी मेहरबान क्यों??. कमार गर्भवती महिला नवजात शिशु मृत्यु मामले में अगर सही समय में जिला प्रशासन गरियाबंद एवं स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद अगर उचित कार्रवाई करते जो जांच अभी एक माह बीत जाने के बाद पूरी भी नहीं हुई है तो चलता फिरता खेम सिंह ध्रुव की मौत नहीं होती। इस प्रकार की दोबारा घटना हो जाने के बाद जिला प्रशासन गरियाबंद एवं स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद की कार्य शैली सवाल तो उठता है।
आम जन में चर्चाये आम है कि किसी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मिली भगत के चलते गरियाबंद मुख्यालय से नजदीक 2 किलोमीटर गांव में लापरवाह अस्पताल प्रबंधन के द्वारा पुन : नया हॉस्पिटल संचालन करने की तैयारी की जा रही है. इस तरह के बार-बार लापरवाही करने वाले अस्पताल प्रबंधन, संचालन कर्ता को क्या जिला प्रशासन गरियाबंद एवं स्वास्थ्य विभाग गरियाबंद नए अस्पताल खोलने की अनुमति दी जाएगी।
कमार जनजाति गर्भवती महिला के नवजात शिशु मृत्यु मामले पर कार्यवाही : गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल के निर्देशानुसार संकल्प छत्तीसगढ़ मिशन हॉस्पिटल छुरा पर कड़ी कार्यवाही करते हुए । हॉस्पिटल का अनुज्ञा पत्र निलंबित कर दिया गया है। साथ ही अस्पताल को एक माह के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कारण बताओ नोटस भी जारी कर दिया गया है। उक्त संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गरियाबंद ने आदेश जारी कर दिये है। अनुज्ञा निलंबन पत्र को चस्पा करने के लिए सात सदस्यीय टीम का भी गठन कर दिया गया है। सीएमएचओ डॉ. गर्गी यदु पाल ने बताया कि श्री संकल्प छत्तीसगढ़ हास्पिटल छुरा में लापरवाही के चलते नवजात शिशु के मृत्यु होने के संबंध में प्राप्त शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसके उपरांत छः सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया था।
जांच दल से प्राप्त प्रतिवेदन एवं अभिमत अनुसार प्रथम दृष्टया अस्पताल के चिकित्सक एवं अस्पताल प्रबंधक की लापरवाही प्रतीत हुई। इस कारण श्री संकल्प छत्तीसगढ़ अस्पताल हरदी रोड छुरा को जारी अनुज्ञा पत्र को जांच पूरी होने तक निलंबित किया गया है। साथ ही नर्सिंग होम एक्ट के तहत प्रदायित अनुज्ञा पत्र को क्यो न निरस्त करने, आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल के पंजीयन निरस्त की जाए, इस संबंध में सम्पूर्ण साक्ष्य, दस्तावेज एवं अभिलेख सहित स्पष्टीकरण एक माह के भीतर प्रस्तुत करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
सीएमएचओ ने बताया कि अनुज्ञा पत्र निलंबन आदेश चस्पा करने के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इनमें डॉ हरीश चौहान, डॉ. ए.के. हुमने, डॉ. जी.एस ध्रुव, डॉ अकुंश वर्मा, डॉ. डोमार सिंह निषाद, श्री देवेश मिश्रा एवं श्री सोमेश्वर ठाकुर शामिल है। टीम को तत्काल निलंबन आदेश को चस्पा करने के निर्देश दिये गये है।वहीं मृतक खेमचंद ध्रुव के पत्नी ने बताया छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा की लापरवाही पूर्वक इलाज के चलते मेरे पति की जान गईं है. छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल द्वारा भेजे गए एम्बुलेंस मे इलाज के नाम पर ले जाते समय बिना हमारी मर्जी पूछे , बिना जानकरी सोहम हॉस्पिटल महासमुंद ले जाया गया. पेट्रोल डलवाने के लिए ड्राइवर के द्वारा ₹2000 भी मांगा गया. और बीच रास्ते में ड्राइवर की अदली बदली हुई. महासमुंद ले जाते समय हमने एम्बुलेंस मे उपस्थित ड्राइवर. कर्मचारी से मोबाइल माँगा क़ी घर मे जानकारी देनी है. क़ी महासमुंद ले जाया जा रहा है. तो उनके द्वारा मोबाइल भी नहीं दिया गया
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन गरियाबंद लगातार दूसरी घटना सामने आने के बाद आगे क्या कार्रवाई करते हैं. क्या आदिवासी पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा…..