रायगढ़

प्रदेश का सबसे बड़ा भूमि घोटाला : बजरमुड़ा कांड में 400 करोड़ का डाका, अब किस पर गिरेगी गाज?…

रायगढ़। जिले में हुए प्रदेश के सबसे बड़े भूमि घोटाले- बजरमुड़ा कांड से प्रशासन हिल चुका है। 400 करोड़ से अधिक की इस लूट में सरकारी अफसरों और दलालों की गहरी साठगांठ उजागर हुई है। अब जब घोटाले की जांच रिपोर्ट में बड़े नामों का खुलासा हो चुका है, तो सरकारी मशीनरी में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, आठ अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता तय हो चुकी है और उनके खिलाफ नोटशीट तैयार की जा रही है।

प्रशासन की शह पर फलता-फूलता घोटाला तंत्र : रायगढ़ में भू-अर्जन घोटाले वर्षों से होते रहे हैं, लेकिन अब तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हर बार घोटालेबाजों की जेबें भरती रहीं और सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान होता रहा। केवल एक कलेक्टर – मुकेश बंसल ने एनटीपीसी लारा भूमि घोटाले में कड़ा कदम उठाया था, लेकिन उनके जाने के बाद भ्रष्टाचारियों ने फिर से गहरी जड़ें जमा लीं।

कैसे हुआ 400 करोड़ का यह गबन? : छत्तीसगढ़ सरकार की कंपनी सीएसपीजीसीएल को गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक के लिए 449.166 हेक्टेयर भूमि लीज पर दी गई थी। इस भूमि का अधिग्रहण कर प्रभावितों को मुआवजा देने का जिम्मा एसडीएम घरघोड़ा अशोक मार्बल को सौंपा गया। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया, जिसमें सिर्फ बजरमुड़ा की 170 हेक्टेयर भूमि के लिए 478.68 करोड़ रुपये का मुआवजा स्वीकृत किया गया, जिसे बाद में घटाकर 415.69 करोड़ रुपये किया गया।

लेकिन हकीकत कुछ और थी :

  • असिंचित भूमि को सिंचित बताया गया।
  • पेड़ों की संख्या बढ़ाकर बताई गई।
  • टिन शेड को पक्का निर्माण दिखाया गया।
  • कुओं और अन्य परिसंपत्तियों का मनमाना आकलन किया गया।
  • 20 लाख की भूमि के बदले 20 करोड़ का मुआवजा बांटा गया।

कौन हैं असली गुनहगार? : जांच रिपोर्ट में दोषियों की सूची तैयार है, लेकिन अब तक केवल छोटे कर्मचारियों पर गाज गिरी है। पटवारी जितेंद्र पन्ना और मालिकराम राठिया को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन असली साजिशकर्ताओं को बचाने की कोशिश जारी है। तहसीलदारों और अन्य अधिकारियों की संलिप्तता की पुष्टि होने के बावजूद अब तक कोई बड़ी गिरफ्तारी नहीं हुई।

रेलवे प्रोजेक्ट और महाजेंको को भी चूना लगाने की तैयारी? : रायगढ़ के तमनार और घरघोड़ा में भू-अर्जन घोटालों का एक शक्तिशाली गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह में भूमाफिया, अफसर, उद्योगपति और रसूखदार लोग शामिल हैं।

अब यही खेल रेलवे और महाजेंको के प्रोजेक्ट में भी जारी है। भालूमुड़ा से गारे पेलमा तक बनने वाली रेल लाइन के लिए अधिग्रहण की गई जमीन में:

  • टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर भारी मुआवजा पारित किया गया।
  • पोल्ट्री फार्म दिखाकर करोड़ों का घोटाला किया गया, जबकि साइट पर कोई मुर्गा तक नहीं पाया गया।
  • बिना बिजली कनेक्शन वाले टिन शेड्स को पावर सप्लाई वाला दिखाया गया।

इस घोटाले की शिकायत इरकॉन ने की थी, लेकिन उसे भी दबाने का प्रयास किया गया। इससे साफ है कि पूरा प्रशासन इस लूट में शामिल है।

अब क्या होगा? : बजरमुड़ा घोटाले के खुलासे के बाद भी सरकारी मशीनरी सो रही है। सवाल यह है कि क्या सरकार भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई करेगी या उन्हें बचाने का नया तरीका खोजेगी?

इस बार जनता की नज़रें इस मामले पर टिकी हुई हैं। यदि जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार की इस दलदल में फंसा हुआ है। क्या रायगढ़ के इस सबसे बड़े भूमि घोटाले के असली गुनहगार कभी कानून की गिरफ्त में आएंगे, या फिर एक बार फिर भ्रष्टाचार की कालिख में सच्चाई दबा दी जाएगी?

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