नगरीय निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : पैसों के खेल की सुगबुगाहट तेज, लोकतंत्र पर खतरा?…
रायपुर। प्रदेश में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस बीच चुनावी प्रक्रिया में धनबल के बढ़ते प्रभाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई इलाकों से यह खबरें आ रही हैं कि प्रत्याशी मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए खुलेआम पैसों का खेल खेल रहे हैं। इससे लोकतंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
चुनाव में धनबल का बढ़ता प्रभाव : सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए नगद पैसे, महंगे उपहार, शराब और अन्य प्रलोभन दे रहे हैं। यही नहीं, चुनाव प्रचार में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं, जिससे निष्पक्ष चुनाव की संभावनाएं कमजोर पड़ती दिख रही हैं।
लोकतंत्र की मूल भावना पर प्रहार : चुनावी प्रक्रिया में धनबल का हावी होना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। यह स्थिति योग्य और ईमानदार प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है, क्योंकि वे इतने बड़े स्तर पर धन खर्च करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में केवल पूंजीशाली और प्रभावशाली लोग ही चुनाव जीतने की होड़ में आगे आ सकते हैं, जिससे आम जनता के असली प्रतिनिधि पीछे छूट सकते हैं।
प्रशासन और चुनाव आयोग की चुनौती : चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए प्रशासन और चुनाव आयोग को कड़े कदम उठाने की जरूरत है। मतदाताओं को भी जागरूक रहकर अपने मताधिकार का सही प्रयोग करना चाहिए और किसी भी प्रकार के प्रलोभन से बचना चाहिए।
क्या होगा इस बार का चुनाव निष्पक्ष? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए क्या कदम उठाता है और क्या जनता धनबल को नकारकर योग्य उम्मीदवारों को चुनने के लिए आगे आएगी। यह चुनाव न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी एक बड़ी परीक्षा होगी।