धरमजयगढ़ वनमंडल में 54 लाख की चारागाह विकास योजना पर बड़ा घोटाला, फर्जी बिलों से हड़पी गई सरकारी राशि, ग्रामीणों में आक्रोश…
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रायगढ़/धरमजयगढ़। वन्यजीव संरक्षण और उनके भोजन हेतु चारागाह विकास के नाम पर भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ राज्य CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) योजना के तहत धरमजयगढ़ वन मंडल में 2021-22 में 54 लाख रुपये चारागाह विकास के लिए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन क्षेत्रीय जांच में यह राशि केवल कागजों पर खर्च होती पाई गई।
चारागाह विकास के लिए स्वीकृत राशि के बावजूद संबंधित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का वास्तविक कार्य नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी फर्जी बिल और वाउचर के जरिए करोड़ों की सरकारी राशि का गबन कर रहे हैं। शिकायत करने पर ग्रामीणों को डराया-धमकाया जाता है और जबरन कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं।
चारागाह विकास के नाम पर कहां गई करोड़ों की राशि?
- 📌 पत्र क्रमांक 119 (दिनांक 19.07.2021) – कक्ष क्रमांक 396 आर.एफ. पोटीया हेतु ₹15,77,000 स्वीकृत।
- 📌 पत्र क्रमांक 119 (दिनांक 19.07.2021) – कक्ष क्रमांक 383 पी.एफ. आँगना हेतु ₹15,77,000 स्वीकृत।
- 📌 पत्र क्रमांक 138 (दिनांक 19.07.2021) – कक्ष क्रमांक 12 आर.एफ. पोटीया हेतु ₹15,77,000 स्वीकृत।
- 📌 पत्र क्रमांक 134 (दिनांक 19.07.2021) – कक्ष क्रमांक 562 आर.एफ. पोटीया हेतु ₹6,31,000 स्वीकृत।
लेकिन क्षेत्रीय निरीक्षण में चारागाह विकास का एक भी प्रमाण नहीं मिला।
ग्रामीणों की जुबानी: “कागजों पर घास उगाई जा रही है!” : स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग केवल कागजों में काम दिखाकर पैसा डकार रहा है। कक्षों में कोई चारागाह विकसित नहीं किया गया, जिससे वन्यजीवों के लिए भोजन का संकट बना हुआ है।
ग्रामीणों के आरोप :
✅ वन विभाग के अधिकारी फर्जी भुगतान कर सरकारी राशि हड़प रहे हैं।
✅ भ्रष्टाचार उजागर होने के डर से ग्रामीणों पर दबाव बनाया जाता है।
✅ शिकायत करने वालों को धमकाया जाता है और कोरे कागजों पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं।
CAMPA योजना बनी भ्रष्टाचार का अड्डा? CAMPA योजना के तहत पुल-पुलिया, स्टॉपडेम, तालाब निर्माण, लेंटाना उन्मूलन जैसे कार्यों में पहले भी भ्रष्टाचार की शिकायतें आती रही हैं। अब चारागाह विकास के नाम पर भी गबन की पुष्टि होने से मामला और गंभीर हो गया है।
पर्यावरणविदों और वन्यजीव प्रेमियों में भारी आक्रोश : पर्यावरणविदों और वन्यजीव प्रेमियों ने इस घोटाले पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि – “यदि वन्यजीवों के भोजन के लिए स्वीकृत राशि भी लूट ली जा रही है, तो यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक गंभीर खतरा है।”
जनता ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग : क्षेत्रीय जनता और पर्यावरण संगठनों ने इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि भ्रष्ट अधिकारियों, विशेष रूप से IFS अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त किया जाए।
अब सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु मंत्री केदार कश्यप और वनबल प्रमुख व प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही श्रीनिवास राव इस घोटाले पर क्या एक्शन लेंगे? क्या दोषियों पर होगी कार्रवाई, या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा?