धरमजयगढ़ में फूटा जन आक्रोश ! डीबीएल की खदान विस्तार परियोजना के खिलाफ आदिवासियों का महाविस्फोट…

रायगढ़। जिला अंतर्गत धरमजयगढ़ में धरती हिली नहीं, लेकिन आवाज़ें गूंज उठीं! 9 अप्रैल 2025 को धरमजयगढ़ में हुई जनसुनवाई में दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड (DBL) की पत्थर खदान विस्तार परियोजना के खिलाफ हज़ारों ग्रामीणों का ग़ुस्सा ज्वालामुखी बनकर फूट पड़ा। हाथों में बैनर, चेहरों पर प्रतिरोध और दिल में जंगल-जमीन को बचाने का जुनून लिए आदिवासी समुदाय ने एक सुर में सरकार और कंपनी को चेतावनी दी “हम अपनी धरती नहीं बिकने देंगे, किसी भी कीमत पर नहीं!”
परियोजना नहीं, ये आदिवासी अस्मिता पर हमला है : जनसुनवाई के नाम पर बुलाई गई इस बैठक में ग्रामीणों ने DBL कंपनी की ईआईए (पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन) रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनका आरोप है कि रिपोर्ट में पर्यावरणीय सच्चाइयों को छुपाया गया है, और ग्राम सभाओं की सहमति के नाम पर छल किया गया है।
धरमजयगढ़ अनुसूचित क्षेत्र है जहां पेसा कानून लागू है — लेकिन DBL कंपनी ने बिना ग्राम सभा की वैध अनुमति के रिपोर्ट तैयार कर दी। यह केवल कानूनी उल्लंघन नहीं, बल्कि आदिवासी अधिकारों की खुली लूट है।
“हम जंगल के बेटे हैं, खदानों के नहीं!” – ग्रामीणों की हुंकार प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि इस परियोजना से:
- वनों पर निर्भर हज़ारों ग्रामीणों की आजीविका खत्म हो जाएगी
- वनोपज, कृषि और पशुपालन जैसे स्रोत बर्बाद हो जाएंगे
- जंगल की जैव विविधता और हाथी गलियारों पर भारी संकट मंडराएगा
- आने वाली पीढ़ियाँ प्रदूषण, बीमारी और विस्थापन के अंधकार में झोंकी जाएंगी
“अगर सरकार ने नहीं सुना, तो जनसुनवाई नहीं जनविद्रोह होगा!” ग्रामीणों ने जनसुनवाई में केवल सवाल नहीं उठाए, बल्कि आगाह किया – “अगर हमारी ज़मीन छिनी गई, तो आने वाले समय में पूरे धरमजयगढ़ में जनआंदोलन की ज्वाला धधक उठेगी!”
प्रशासन और कंपनी मौन, जनता में तूफान : जनसुनवाई के दौरान DBL कंपनी और पर्यावरण अधिकारियों के पास ग्रामीणों के सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। उल्टा, लोगों ने आरोप लगाया कि जनसुनवाई की प्रक्रिया को पहले से ही पूर्वनियोजित दिखावा बना दिया गया था।