“धरमजयगढ़ में प्रशासन का अपराधी संरक्षण : एक महिला की चीख को दबाने का काला खेल…!”

धरमजयगढ़। यह एक असहाय महिला का दर्द नहीं, यह पूरे सिस्टम का झूठा चेहरा है, जो हर बार तब तक सोता रहता है, जब तक खुद पर कोई विपत्ति न आ जाए! राधाबाई, ग्राम पंचायत कुमा की एक महिला, दूसरे साल भी न्याय की दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं – लेकिन जवाब सिर्फ निराशा और सिस्टम की संवेदनहीनता है।
कैसे एक अकेली महिला को दबंगों ने अपने कब्जे में लिया? : 7 सितंबर 2024 – राधाबाई ने कापू थाना में शिकायत की, जिसमें बताया कि सुखीराम सारथी नामक दबंग ने उनके घर पर जबरन कब्जा कर लिया, उसे तोड़ा, और खुलेआम धमकी दी – “अब तेरा यहां कुछ नहीं चलेगा!” क्या यह कोई सामान्य मामला था? नहीं! यह एक बेबस और असहाय महिला का जीवन और घर छीनने की साजिश थी, जो हर किसी की आंखों के सामने घटित हो रही थी, और पुलिस प्रशासन ने आंखें मूंद लीं।
आखिर क्यों पुलिस चुप है? क्या कानून सिर्फ ताकतवरों के लिए है? : शिकायत के बाद महीनों बीत गए, लेकिन कापू थाना ने कोई कदम नहीं उठाया। क्या यह केवल राधाबाई का मामला था, या इस सिस्टम में किसी भी गरीब और असहाय व्यक्ति का न्याय एक सपना बनकर रह गया है? क्या यह साबित नहीं हो रहा कि कानून और प्रशासन, रसूखदारों और दबंगों के इशारों पर नाच रहे हैं?
सुखीराम की दबंगई – राधाबाई की मेहनत लूट ली गई : हाल ही में, राधाबाई महुआ बीनने गईं, लेकिन तभी सुखीराम और उसके परिवार ने उनके सारे महुआ छीन लिए। क्या यह एक साधारण चोरी है या यह किसी महिला की आत्म-सम्मान और मेहनत का अपमान है? क्या इस देश में किसी गरीब और असहाय की मेहनत की कोई कीमत नहीं है?
“मैं गरीब हूं, मेरा कोई नहीं सुनता!” राधाबाई की दिल दहला देने वाली आवाज़। राधाबाई अब कह रही हैं :
“सरपंच, सचिव, बीडीसी, थाना सभी जगह गई, लेकिन कोई नहीं सुनता। अब मेरी एकमात्र उम्मीद कलेक्टर हैं, लेकिन वहां तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं दिख रहा।”