धमकी, डराने और दमन के खिलाफ पत्रकार एकजुट! सरपंच पति की गुंडागर्दी के खिलाफ गरजा कलमकार समाज…

सारंगढ़-बिलाईगढ़। जनपद पंचायत बिलाईगढ़ के ग्राम पंचायत धौराभाठा (घो) में सच्चाई उजागर करने पहुंचे पत्रकार को सरपंच पति द्वारा एफआईआर में फंसाने की खुली धमकी देना अब तूल पकड़ चुका है। पत्रकारों में उबाल है, आक्रोश है और अब आर-पार की लड़ाई का एलान है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले की इस घटना को लेकर पूरे पत्रकार समुदाय ने एक स्वर में तीखा विरोध जताया है।
“सच मत दिखाओ वरना फंसा दूंगा एफआईआर में” – सरपंच पति की खुली धमकी : मिली जानकारी के अनुसार, स्थानीय पत्रकार मिथुन जब धौराभाठा पंचायत में 15वें वित्त आयोग की राशि में भ्रष्टाचार, बिना जीएसटी बिल के भुगतान जैसे मामलों की कवरेज करने पहुंचे, तो सरपंच पति ने पहले खबर दिखाने से मना किया और फिर उन्हें एफआईआर में फंसाने की धमकी दे डाली। यह वही पंचायत है जहां जनधन लूट की शिकायतें पहले से गर्म हैं।
क्या अब खबर दिखाना अपराध है? : सवाल यह है कि जब एक पत्रकार पंचायत में व्याप्त वित्तीय गड़बड़ियों की पड़ताल कर रहा था, तो सरपंच पति को डर किस बात का था? क्या इससे ये स्पष्ट नहीं होता कि गुनाह छिपाने के लिए सत्ता के साये में गुंडागर्दी हो रही है?
पत्रकारों की हुंकार: “डराने की कोशिश लोकतंत्र पर हमला है!” –इस घटना से क्षुब्ध होकर जिलेभर के पत्रकारों ने मोर्चा खोल दिया है। पत्रकार संघ के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से मिलकर सरपंच पति पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पत्रकारों ने चेताया है –
“यदि पत्रकारों को डराने-धमकाने की घटनाओं पर प्रशासन चुप रहा, तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।”
✅ पुलिस का जवाब – जांच होगी, कार्रवाई तय : एडिशनल एसपी श्रीमती निमिषा पांडे ने पत्रकारों को आश्वस्त किया है कि मामले की जांच बिलाईगढ़ एसडीओपी से कराई जाएगी, और दोषी पाए जाने पर कानूनी रूप से सख्त कार्रवाई होगी।
पत्रकार संघ का संदेश – “आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए” : संघ ने एडिशनल एसपी का आभार तो व्यक्त किया, लेकिन साफ कहा –
“अब आश्वासन से बात नहीं बनेगी। जांच निष्पक्ष और समयबद्ध होनी चाहिए, ताकि लोकतंत्र के प्रहरी के आत्मसम्मान की रक्षा हो सके।”
पत्रकारों का बढ़ता हुंकार – चुप नहीं बैठेंगे!
घटना के विरोध में आवाज बुलंद करने वालों में शामिल हैं –
नरेश चौहान, देवराज दीपक, कृष्णा महिलाने, युराज निराला, समीप अनंत, मिथुन यादव, पिंगध्वज खांडेकर, चन्द्रिका भास्कर, मोहन लहरे, सुनील टंडन, अजय जोल्हे, भागवत साहू, मिलन महंत, देव जाटवर, संभु पटेल, राजकुमार सिदार आदि।
अब सवाल प्रशासन से है :
- क्या लोकतंत्र में सच दिखाना अपराध है?
- क्या सरपंच पति जैसे लोग कानून से ऊपर हैं?
- क्या पत्रकारों को डराने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया जाएगा?
अब जनता देख रही है – कलम पर हमले करने वालों को सजा मिलती है या संरक्षण।
मामला सिर्फ एक पत्रकार का नहीं, ये लोकतंत्र की आवाज को कुचलने की साजिश है।
📍अब सिर्फ जांच नहीं, परिणाम चाहिए!
📍पत्रकारों पर हमला, नहीं सहेगा हिंदुस्तान!
📍सत्ता की लाठी नहीं, सच्चाई की कलम चलेगी!