गरियाबंद

“तेल टपकते तंत्र का टंकी ब्लास्ट…! गरियाबंद में ‘पेट्रोलपुरुष’ विजेंद्र ध्रुव की सस्पेंशन से फूटा 25 लाख का घोटालामाइट!…”

गरियाबंद । आखिरकार वो दिन आ ही गया जब सरकारी दफ्तर में चुपचाप बहते पेट्रोल का ‘धमाका’ हुआ!
25 लाख के तेल कांड ने प्रशासन की नींद तो उड़ाई ही, साथ में भ्रष्टाचार के टंकी ढक्कन को भी उड़ा दिया और बाहर निकला विजेंद्र ध्रुव का नाम, जिनकी कलम ने पेट्रोल को अमृत समझकर बांटा!

सीधा टंकी से ट्रेजरी तक : स्वास्थ्य विभाग का एक वाहन — CG-02-6140 एक ऐसा ‘सुपर व्हीकल’ बन गया जो न दिखता था, न चलता था, पर पेट्रोल पीने में माइलेज किंग निकला। जय लक्ष्मी पेट्रोल पंप से फर्जी और संदिग्ध बिलों की ऐसी बारिश हुई कि लगा गरियाबंद में कोई “तेल आधारित महामारी” चल रही है!

तेल की टंकी नहीं, घोटाले का बम निकला :  जांच बैठी, तो पता चला कि ये गाड़ी नहीं, घोटाले की मशीन है।
ध्रुव साहब ने न सिर्फ बिना सत्यापन के बिल पास किए, बल्कि सरकारी खजाने को अपनी “ऑक्टेन बॉटल” समझ लिया था- जहां से जब चाहो, खींच लो घूंट-घूंट ईमानदारी!

कलेक्टर उइके का ‘एंटी-करप्शन मिसाइल’ लॉन्च : जब ये घोटाले का ट्रिगर फूटा, कलेक्टर बी.एस. उइके ने प्रशासनिक रॉकेट लॉन्च कर दिया। सीधा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम-09 का बटन दबाया और ध्रुव जी को निलंबन का “ब्लास्ट-ऑफ टिकट” थमा दिया।

कलेक्टर साहब ने साफ कर दिया – “अब सिस्टम में तेल नहीं बहेगा, सिर्फ एक्शन का पसीना बहेगा!”

नई पोस्टिंग : छुरा में ‘ऑयल-फ्री’ जीवन –निलंबन के बाद ध्रुव जी को भेजा गया छुरा, जहां वे जीवन निर्वाह भत्ता के भरोसे अपनी नैतिक टंकी भरते रहेंगे।
गाड़ी गई, पंप बंद हुआ, पर बॉटल में थोड़ी  बची है!

ऑफिस बना ‘ऑयलफिस’ : सीएमएचओ दफ्तर में अब हर कर्मचारी खुद की टंकी चेक कर रहा है – “कहीं हमारे भी दस्तखत किसी फर्जी पेट्रोल पर तो नहीं हैं?” कुर्सियाँ हिल रही हैं, पंखे तेज़ चल रहे हैं, पर ईमानदारी की हवा अभी भी हल्की है।

क्या अब होगा तेल निषेध?
सूत्रों का कहना है कि ये तो महज ‘पेट्रोल-प्रारंभ’ है।
जल्द ही डीजल, मोबाइल बिल, और टायर रिपेयर जैसे ‘नवीनतम घोटाले’ भी जांच रेंज में आ सकते हैं।
कलेक्टर उइके की यह कार्रवाई अब “घोटालेबाजों के टायर से हवा निकालने वाला पंप” बन चुकी है।

ध्रुव जी की घोटालागाथा से सबक :इस कहानी ने हमें सिखा दिया कि – “अगर आप सरकारी नौकरी में हैं और गाड़ी आपके पास नहीं है, फिर भी पेट्रोल का बिल आ रहा है तो समझ जाइए, अब अगली यात्रा आपकी निलंबन एक्सप्रेस से होगी।”

विजेंद्र ध्रुव का ये तेल-भरा करियर अब रिसाव पर है।
संदेश साफ है – गरियाबंद में अब पेट्रोल से नहीं, ‘पाप की पर्चियों’ से आग लगेगी !

और हां… अगला घोटाला किस टंकी से निकलेगा? इंतज़ार कीजिए, सिस्टम की सर्विसिंग जारी है! “तेल खत्म… पर व्यंग्य अभी बाकी है!”

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