“तू मीडिया वाला है?” – राजधानी रायपुर में पत्रकारों पर हमला, कैमरा नाली में फेंका, मारपीट कर लहूलुहान किया गया!…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में पत्रकारिता करना अब जान पर खेलने जैसा हो गया है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर अब खुलेआम लाठियां बरसाई जा रही हैं और हमला करने वाले कोई अराजक तत्व नहीं, बल्कि खुद को बजरंग दल का कार्यकर्ता बताने वाले गुण्डे हैं।
जनधारा 24×7 के रिपोर्टर राघवेंद्र पांडेय और उनके कैमरामैन को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वे “सच्चाई दिखाने” गए थे। भावना नगर में दो पक्षों के बीच हुए पुराने विवाद की पड़ताल करने पहुंचे पत्रकारों को रिपोर्टिंग करना इतना महंगा पड़ा कि जान बचाकर भागना पड़ा। रिपोर्टिंग नहीं, अब गुंडों से “परमिशन” चाहिए?
राघवेंद्र ने बताया,
“हम सोनू के घर में बाइट ले रहे थे। जैसे ही बाहर निकले, लगभग दो दर्जन लोग घेर लिए। बोले – ‘तू मीडिया वाला है?’ और फिर धक्का, थप्पड़, घूंसे… कैमरा छीन कर नाली में फेंक दिया, मोबाइल तोड़ दिया।”
क्या यही है “नया भारत” का मीडिया-अनुशासन?
क्या अब पत्रकार रिपोर्टिंग से पहले संगठन की मंजूरी लेकर जाए?
बजरंग दल की गुंडागर्दी पर पुलिस खामोश, लोकतंत्र शर्मसार : घटना के बाद पीड़ित पत्रकारों ने खम्हारडीह थाने में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
- क्या बजरंग दल के झंडे तले हमला करना अब “देशभक्ति” बन चुका है?
- क्या पत्रकारिता अब सिर्फ चाटुकारों और दरबारी कैमरों तक सीमित रहनी चाहिए?
यह हमला सिर्फ एक रिपोर्टर पर नहीं, यह हमला जनता की आवाज़ पर है : जब पत्रकारों पर हमले होते हैं, तब दरअसल हर उस आदमी की आवाज़ दबाने की कोशिश होती है जो सच्चाई जानना चाहता है। जो आज राघवेंद्र के साथ हुआ, वह कल किसी और मीडिया कर्मी के साथ होगा और एक दिन यही खामोशी पूरे समाज को निगल जाएगी।
📢 अब चुप रहना कायरता है। यह हमला नहीं, यह ऐलान है कि जो सच दिखाएगा, उसे चुप करा दिया जाएगा।
✍️ पत्रकारिता कोई अपराध नहीं। लेकिन सत्ता संरक्षित संगठनों की गुंडागर्दी अपराध से भी बड़ा है।
📍 रायपुर में जो हुआ है – वह महज ‘हमला’ नहीं, लोकतंत्र की चिता पर चढ़ती एक और लकड़ी है।