तीन फीट पानी नहीं, तीन साल की ज़िंदगी बहा ले गया तंत्र का निकम्मापन!…
• बिलासपुर में हरेली पर मातम – नाले में डूबी कार, मासूम तेजस लापता – सवालों में डूबा प्रशासन...

बिलासपुर (सीपत)। छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व के दिन उस वक्त कयामत टूट पड़ी जब सीपत थाना क्षेत्र के खम्हरिया गांव का एक परिवार दर्शन करके लौट रहा था और एक खुले, बेकाबू और बेतुके पुल ने उनकी पूरी दुनिया उजाड़ दी।
बिना चेतावनी, बिना बैरिकेडिंग – यही है छत्तीसगढ़ में “स्मार्ट प्रशासन”? – मोहनलाल साहू उर्फ भोला (उम्र 29) अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ उच्चभट्ठी के शिव शक्ति पीठ मंदिर से लौट रहे थे। जैसे ही उनकी वेगनआर कार झलमला के तुंगन नाले के पुल पर पहुंची, वहां लगभग तीन फीट तेज बहाव था।
ना कोई संकेतक था, ना कोई बैरिकेडिंग।
कार बहाव में बह गई।
सिर्फ कुछ ही मिनटों में परिवार की खुशियाँ चीखों में बदल गईं।
नाले में बह गया मासूम तेजस – कौन है जिम्मेदार? कार में 9 लोग सवार थे – 5 बच्चे और 4 वयस्क। स्थानीय लोगों की जान पर खेलकर की गई मदद से कुछ बच्चों को बाहर निकाला जा सका। लेकिन इस हादसे में भोला साहू का तीन साल का बेटा ‘तेजस’ पानी के बहाव में कार सहित बह गया। वो तेजस, जिसकी किलकारी कुछ देर पहले ही मंदिर में गूंज रही थी – अब नाले की लहरों में कहीं खो गई है।
रातभर टॉर्च की रोशनी में खोजते रहे लोग – नहीं मिला बच्चा, नहीं मिली कार : सीपत पुलिस ने रातभर सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन न बच्चा मिला, न कार।
अब SDRF की टीम उतरी है मोर्चे पर, लेकिन तेज बहाव के बीच अभी भी सिर्फ़ उम्मीदें और आंसू ही हाथ आए हैं।
अब सवाल जनता का – क्या ये मौत नहीं, हत्या है?
- प्रशासन को क्या इंतजार था?
किसी के मरने के बाद ही चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे? - मानसून हर साल आता है, फिर भी क्यों हर साल बह जाते हैं लोग?
- जब एक पुल के ऊपर से तीन फीट पानी बह रहा था, तो स्थानीय प्रशासन सो रहा था या चाय पी रहा था?
खम्हरिया गांव में मातम, प्रशासन में सन्नाटा : गांव में चूल्हे नहीं जले, मंदिर में घंटी नहीं बजी। सिर्फ़ एक ही नाम गूंज रहा है – “तेजस… तेजस…”
और प्रशासन?
कागज़ी कार्रवाइयों में उलझा बैठा है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
जनता की चेतावनी – अगला तेजस तुम्हारा भी हो सकता है!हमारा स्पष्ट सवाल है:
ये लापरवाही नहीं, ये हत्या है।
- क्या हर पुल पर मानसून में चेतावनी बोर्ड नहीं लगना चाहिए?
- क्या SDRF को हादसे के बाद नहीं, पहले से तैनात नहीं किया जाना चाहिए था?
- क्या तुंगन नाले जैसे जानलेवा स्थलों पर बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए थी?
अब बस बहुत हुआ!बिलासपुर की जनता, माँग करते हैं:
- जहां जलभराव की आशंका हो वहां तत्काल बैरिकेडिंग हो।
- हर पुल/नाले पर जलस्तर सूचक और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
- तेजस के लापता होने की उच्चस्तरीय जांच हो – लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई हो।
ये खबर मत पढ़िए – इसे हथियार बनाइए!
ये हादसा नहीं था,
ये एक मासूम की मौत नहीं,
ये हमारे सिस्टम की नालायकी का खौफनाक नतीजा है।