छत्तीसगढ़ में ‘मुआवजा माफिया’ का महास्कैंडल! रायगढ़ के बजरमुड़ा में 100 करोड़ की बंजर जमीन पर 415 करोड़ का मुआवजा – सत्ता-तंत्र के संरक्षण में सरकारी डकैती, अब दर्ज होंगी FIR…!

रायगढ़। छत्तीसगढ़ की ज़मीन पर पनपा मुआवजा माफिया तंत्र अब पूरी तरह बेनकाब हो गया है! रायगढ़ जिले के बजरमुड़ा गांव में इतिहास का सबसे बड़ा मुआवजा घोटाला, जिसमें 100 करोड़ की जमीन पर 415 करोड़ रुपए लुटाए गए, अब परत-दर-परत उजागर हो रहा है। सरकारी सिस्टम के भीतर बैठे अफसरों ने मिलकर ऐसा संगठित आर्थिक अपराध किया है, जिसे ‘सिस्टम सिंडिकेट’ कहना ज्यादा उचित होगा। और अब जांच के बाद सीधे आपराधिक मुकदमे दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
ये घोटाला नहीं, सत्ता संरक्षित ‘लूट का लाइव मॉडल’ है!
- जहां घास थी, वहां 2000 पेड़ों की लिस्ट,
- जहां टीन शेड था, वहां आरसीसी मकान,
- जहां असिंचित खेत थे, उन्हें सिंचित दिखा दिया गया,
- जहां 20 लाख बनता था, वहां 20 करोड़ पारित कर दिया गया।
बजरमुड़ा में जो मुआवजा फॉर्मूला अपनाया गया, वो ‘भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला’ जैसा था। और ये सब सरकारी मुहर के साथ हुआ।
कलेक्टर ने खोली भ्रष्टाचार की परतें, अब फंसे पूरा गिरोह : पूर्व कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने जांच रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज करने के स्पष्ट आदेश दिए। जिन पर गाज गिर रही है, वो हैं:
- तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल
- तहसीलदार बंदेराम भगत
- राजस्व निरीक्षक मूलचंद कुर्रे
- पटवारी जितेंद्र पन्ना
- पीडब्ल्यूडी उप अभियंता धर्मेंद्र त्रिपाठी
- उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत
- बीटगार्ड रामसेवक महंत
इन सभी ने मिलकर जनता के पैसों की खुली लूट को अंजाम दिया और अब गिरफ्तारी की तलवार सिर पर है।
सिर्फ बजरमुड़ा नहीं पूरी लीज में छिपा है ‘मुआवजा जाल’
गारे-पेलमा सेक्टर-3 के नाम पर 449.166 हेक्टेयर जमीन में से केवल बजरमुड़ा की 170 हेक्टेयर भूमि पर ही 478.68 करोड़ का मुआवजा घोषित हुआ। CSPGCL ने विरोध किया, तो महज ब्याज घटाकर 415.69 करोड़ ‘सेट’ कर दिया गया – यानी फर्जीवाड़े को सरकारी वैधता का प्रमाणपत्र दे दिया गया।
सरकार की चुप्पी या साजिश? EOW और CBI जांच से क्यों भाग रहे हैं? : राज्य सरकार ने 15 जून 2023 को जांच के आदेश दिए, IAS रमेश शर्मा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 6-8 दिसंबर 2023 और 8-9 फरवरी 2024 को जांच की,
रिपोर्ट में बेशर्मी से हुई हेराफेरी को उजागर किया,
फिर भी आज तक यह मामला EOW या CBI को नहीं सौंपा गया।
क्या सरकार किसी ‘ऊपर के संरक्षण’ को बचा रही है?
क्या बजरमुड़ा सिर्फ ट्रेलर था और असली घोटाला करवाही व ढोलनारा में दबा है?
प्रशासन खुद मान रहा – यह अपराध है, न कि गलती!
“बजरमुड़ा की जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन जिम्मेदार लोगों पर अपराध दर्ज करने के लिए एसडीएम घरघोड़ा को पत्र भेजा गया है।”
– रवि राही, अपर कलेक्टर रायगढ़
ये खबर नहीं, ‘घोटालों की चिताओं’ पर लिखा गया सच्चाई का शिलालेख है
- ये घोटाला सिर्फ मुआवजे का नहीं,
- ये लूट सिर्फ जमीन का नहीं,
- ये भरोसे, व्यवस्था और न्याय की हत्या है।
अब रायगढ़ पूछ रहा है :
- क्या मुआवजा घोटाले के असली मास्टरमाइंड जेल जाएंगे?
- क्या राजनैतिक संरक्षण में पल रहे इस ‘भ्रष्टाचार नेटवर्क’ को सरकार खत्म करेगी? या फिर किसी नए घोटाले के आने तक फाइलें ठंडी कर दी जाएंगी?
छत्तीसगढ़ को जगना होगा!
बजरमुड़ा की माटी चीख रही है –
“मेरी जमीन पर हक था किसान का, लेकिन दस्तखत थे अफसरों के।”
यह सिर्फ ख़बर नहीं, एक ऐलान है
रायगढ़ अब चुप नहीं रहेगा !