छत्तीसगढ़ में छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई चिंता, बिलासपुर में बीएससी की छात्रा ने की खुदकुशी…

बिलासपुर। प्रदेश में बीते कुछ महीनों से छात्र-छात्राओं द्वारा आत्महत्या की घटनाओं में चिंताजनक इजाफा देखा जा रहा है। शैक्षणिक दबाव, पारिवारिक तनाव या मानसिक अवसाद—वजहें चाहे जो भी हों, लेकिन युवा जीवन का इस तरह अंत होना समाज और सिस्टम दोनों के लिए एक गंभीर सवाल बन गया है।
इसी कड़ी में एक और दर्दनाक घटना छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से सामने आई है। यहां सीपत थाना क्षेत्र के खाड़ा इलाके में बीएससी द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, छात्रा अपने घर के कमरे में मृत पाई गई। जब परिजनों को इसका आभास हुआ तो उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। फिलहाल आत्महत्या के कारणों की जांच जारी है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, छात्रा के कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या के पीछे की वजह साफ नहीं हो पाई है। वहीं, परिवार और कॉलेज के साथियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस मानसिक तनाव अथवा अन्य सामाजिक कारणों की भी जांच कर रही है।
छात्रा की असमय मौत ने न केवल उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि यह घटना पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। यह सवाल उठाता है कि आखिर क्यों आज का युवा इस कदर टूट रहा है कि उसे जीवन समाप्त करने जैसा कदम उठाना पड़ रहा है?
समाज, शिक्षा प्रणाली और प्रशासन के सामने यह समय आत्ममंथन का है। क्या हम अपने युवाओं को वह माहौल और समर्थन नहीं दे पा रहे जिसकी उन्हें जरूरत है? आवश्यक है कि मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बातचीत हो, कॉलेज और स्कूल स्तर पर काउंसलिंग सिस्टम को मजबूत किया जाए और छात्रों को सुनने-समझने का एक संवेदनशील वातावरण प्रदान किया जाए।