छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के इन इलाकों के पानी में जहर ; रिपोर्ट ने उड़ाके रख दिए सबके होश…
छत्तीसगढ़। प्रदेश के दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा से पीने के पानी के टेस्ट रिपोर्ट में यूरेनियम का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है।
बीआईटी दुर्ग की रिसर्चर पूनम देशमुख ने कहा कि मशीनरी के बारे में तो हमने बहुत ब्रॉड लेवल पर नहीं सोचा है, लेकिन ये बोल सकते हैं कि अभी तो हम लोगों ने इसे बैच तकनीक से डेवलप किया है। लेकिन, अगर इसे लॉर्ज वाटर को ट्रीट करना है, तो उसके लिए कॉलममोड ज्यादा इफेक्टिव होता है। नेचर में बहुत सारे मैटल आयन होता है, जिसके लिए इंडस्ट्रियल लेवल पर ये सब टेक्निक डेवलप होती है। हम सोच सकते हैं कि कॉलम मोड पर इसे ले जाने से ज्यादा इफेक्टिव होगा।
जाने पूरा मामला बिंदुवार…
- पीने के पानी में डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर यूरेनियम 15 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है तो यह अधिक खतरनाक नहीं है और पीने योग्य है। सरकार ने भी 30 माइक्रोग्राम तक की सीमा तय कर रखी है।
- 2017 में WHO ने सुझाव दिया था कि पीने के पानी में यूरेनियम 15 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। जून में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि 60 माइक्रोग्राम प्रति लीटर भी सुरक्षित है।
- अगर तय लेवल से पानी में यूरेनियम अधिक पाया जाता है तो वह पीने योग्य नहीं है। अधिक यूरेनियम अगर पानी में पाया जाता है तो कैंसर और फेफड़ों की बीमारियां होती हैं। स्किन और गुर्दे की बीमारी का भी खतरा रहता है।
- छत्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा से पीने के पानी के टेस्ट रिपोर्ट में यूरेनियम का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है।
- बालोद के एक गांव से लिए गए एक नमूने में 130 माइक्रोग्राम प्रति लीटर और कांकेर से लिए गए एक अन्य नमूने में 106 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम पाया गया। छह जिलों में एवरेज यूरेनियम का लेवल 86 से 105 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाया गया।
- इस रिपोर्ट के आने के बाद गांव में पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। गांव के मुखिया दानेश्वर सिन्हा ने बताया कि गांव में पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं है। हमको टेस्ट के बारे में बताया गया है। गांव में एक दूसरा बोर खोला गया है लेकिन पता नहीं है कि वह भी वैसा ही है या सही है।
- देवतराई के रेड फ्लैग के बाद सभी छह जिलों से नमूने दुर्ग में भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को भेजे गए। यहां की टेस्ट रिपोर्ट में रीडिंग 86 से 105 माइक्रोग्राम यूरेनियम प्रति लीटर के बीच आया है। बीआईटी के वैज्ञानिकों ने छह जिलों में से प्रत्येक में छह वर्ग किलोमीटर की सीमा से सैंपल्स लिए हैं।