रायगढ़

घरघोड़ा : सुशासन की साय सरकार में, भ्रष्टाचारी सरपंच को क्यों सरकारी दामाद की तरह मिल रहा अभयदान??…

◆ एसडीएम घरघोड़ा व खाद्य अधिकारी की भूमिका संदिग्घ??.. फिर शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुँचे बैहामुडा के ग्रामीण…

रायगढ़। जिले के घरघोड़ा तहसील अंतर्गत  बीजेपी के शासनकाल में एक कांग्रेसी सरपंच के विरुद्ध जांच में लाखों के भ्रष्टाचार का मामला सिद्ध होने के बाद भी सरपंच पर कार्यवाही से बचने की कोशिश का आरोप स्थानीय प्रशासन पर लगाते हुए ग्रामीणों ने रायगढ़ कलेक्टर को शिकायत पत्र सौंप सरपंच पर सिद्ध भ्रष्टाचार के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही की मांग की है ।

पूरे मामले में घरघोड़ा के बैहमुड़ा के ग्रामीणों की शिकायतों और आंदोलन धरने के लंबे दौर के बाद जागने का अभिनय करने वाले प्रशासन ने ग्राम पंचायत बैहमुड़ा सचिव व सरपंच के द्वारा लाखों के भ्रष्टाचार के मामले की जांच तो की पर जांच रिपोर्ट एस डी एम घरघोड़ा को सौंपने के बाद भी हफ़्तों कार्यवाही के लिए कोई रुचि अधिकारी महोदय द्वारा नही दिखाने पर ग्रामीणों के पुनः आंदोलन की चेतावनी ज्ञापन दिया तब कार्यवाही में थोड़ी गति आयी और सचिव एवं रोजगार सहायक पर FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया पर सरपंच पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही हुई इससे बैहामुडा के आंदोलन कारी ग्रामीण बिफर पड़े हैं और सीधे सरपंच को बचाने की कोशिश का आरोप घरघोड़ा के अधिकारी और खाद्य विभाग के अधिकारियों पर लगाते हुए कलेक्टर रायगढ़ को पुनः शिकायत पत्र सौंप कर कार्यवाही की मांग की है ।

क्यों सरकारी दामाद की तरह भ्रष्टाचारियों को मिल रहा ट्रीटमेन्ट?? : भ्रष्टाचार के आरोपों पर बकायदा टीम बनाकर जाँच के बाद जब भ्रष्टाचार सिद्ध हो जाता है तब जांच रिपोर्ट के आधार पर सम्बंधित के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही की जानी चाहिए पर घरघोड़ा के ग्राम पंचायत बैहमुड़ा के मामले में सरपंच और सचिव के संलिप्तता की जांच रिपोर्ट में पुष्टि के बावजूद अधिकारी बेवजह समय काटते रहे और ग्रामीणों के।दबाव के बाद कार्यवाही की भी तो आधी अधूरी…ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपी को सरकारी दामाद की तरह ट्रीट किये जाने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि आखिर अधिकारी सरपंच नृपत सिंह पर कार्यवाही से क्यों हिचक रहे हैं आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो भ्रष्टाचार के आरोपी को सजा दिलाने की जगह अधिकारी उसे बचाने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रहे हैं । अब देखना होगा कि भ्रष्टाचार के इस बहुचर्चित मामले में प्रशासन कलेक्टर महोदय की फटकार का इंतज़ार करती है या स्वयं कर्त्तव्य बोध से भ्रष्टाचारी सरपंच पर कार्यवाही करती है ।

खाद्य अधिकारी का कहना राशन संचालन सचिव और रोजगार सहायक करतें थे इसलिए सरपंच पर कोई कार्यवाही नहीं तो फिर उन्ही के द्वारा भौतिक सत्यापन मे संचालन कर्ता सरपंच का नाम कैसे और कहाँ से, सवालो के घेरे में खाद्य निरीक्षक ???…

बैहामुडा सरपंच पर भ्रष्टाचार के दर्जनों आरोप : सचिव और सहायक के जेल जाने के बाद भी कार्यवाही से साफ बचे बैहामुड़ा सरपंच नृपत सिंह राठिया पर दर्जनों आरोप हैं जिसमे हुई जांच में जिला पंचायत मुख्यकार्य पालन अधिकारी द्वारा 4लाख 13 हजार की वसूली के लिये आदेश जारी किया था, इसके साथ सरपंच नृपत सिंह राठिया अपने पुत्र अरूण राठिया को दो दो बार, दो नग वन पट्टा दिलाया और अपने चाचा मत्थु पिता बनपैसा को 3 एकड़ का वन पट्टा दिया वहीं अपनी पत्नि को पिंपरी तलाब को 10 दस वर्षों की लीज दे रखा है ये सारे मामले जांच में सिद्ध हो चुके हैं । जाँच रिपोर्ट में लिखित में सरपंच के काले कारनामो की सिद्ध प्रति के बावजूद प्रशासन का कार्यवाही से पीछे हटना अपने आप मे बड़े सवाल खड़े करता है।

क्या कहते हैं SDM घरघोड़ा रमेश कुमार मोर : दूरभाष से ज़ब हमने जानना चाहा राशन घोटाले संबंध मे, ग्रामीणों के कहे अनुसार आपके द्वारा बैहामुड़ा के सरपंच को बचाने का प्रयास किया जा रहा तब उन्होंने कहा की “कोई कुछ भी बोल सकता है उसके मुँह को रोका तो नहीं जा सकता…”

क्या कहते हैं खाद्य अधिकारी : “खाद्य अधिकारी से ज़ब हमने दूरभाष से जानना चाहा राशन घोटाले के संबंध मे, ग्रामीणों के कहे अनुसार आपके द्वारा बैहामुड़ा के सरपंच नृपत सिँह राठिया को बचाने का प्रयास किया जा रहा तो उन्होंने कहा राशन दुकान ग्रा.पंचा.सचिव और रोजगार सहायक द्वारा संचालित किया जा रहा था। “

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