खरसिया के आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में गोल्ड लोन घोटाला उजागर, शाखा प्रबंधक व कर्मचारी पर गंभीर आरोप…

रायगढ़। जिले के खरसिया स्थित आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की शाखा में गोल्ड लोन घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित युवक सिद्धार्थ पांडे ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर बैंक के शाखा प्रबंधक रजत लाल और कर्मचारी ओम पटेल पर गंभीर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने अपने ही सोने को गिरवी रख, दूसरे व्यक्ति के नाम से लोन स्वीकृत करवा कर रकम तीसरे के खाते में ट्रांसफर कर दी।
कैसे हुआ खुलासा? – पीड़ित सिद्धार्थ पांडे के मुताबिक, उन्हें बैंक बुलाकर ओम पटेल ने कहा कि शाखा प्रबंधक रजत लाल को गोल्ड लोन की आवश्यकता है, लेकिन खुद मैनेजर होने के कारण वे अपने नाम से लोन नहीं ले सकते। लिहाजा उनसे कहा गया कि वे अपने नाम से लोन ले लें, बदले में 5% कमीशन दिया जाएगा।
सिद्धार्थ ने अपने नाम से गोल्ड लोन आवेदन किया और ₹5,28,000 की रकम उनके खाते में ट्रांसफर हुई। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ ही देर में पूरी रकम उनके खाते से निकाल कर मनोज कुमार नामक व्यक्ति के खाते में भेज दी गई। जब उन्होंने जानकारी लेनी चाही तो बताया गया कि “आपका लोन खाता बंद कर दिया जाएगा”, लेकिन हकीकत यह थी कि बैंक को कोई रकम वापस नहीं हुई।
बैंक प्रबंधन चुप, पुलिस निष्क्रिय : घोटाले के उजागर होने के बाद पीड़ित ने खरसिया पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं बैंक प्रबंधन भी मामले पर चुप्पी साधे हुए है। यह रवैया इस बात की ओर इशारा करता है कि गड़बड़ी सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित नहीं, बल्कि संस्थागत स्तर पर अनदेखी और मिलीभगत हो रही है।
पहले भी हो चुकी है फर्जी निकासी : गौरतलब है कि इससे पहले खरसिया के सेंट्रल बैंक में खाताधारकों के खातों से लाखों की फर्जी निकासी का मामला सामने आया था। अब आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में गोल्ड लोन का यह नया घोटाला सामने आने से स्थानीय लोगों में बैंकिंग सिस्टम पर से भरोसा उठता जा रहा है।
भोले-भाले ग्रामीण बन रहे शिकार :
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से भोले-भाले ग्रामीणों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। खुद के स्वार्थ के लिए अधिकारियों द्वारा बैंकिंग नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
सवाल उठते हैं –
- क्या आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के वरिष्ठ अधिकारी इस घोटाले की जांच करेंगे?
- क्या पुलिस निष्क्रियता के पीछे कोई दबाव है?
- क्या शाखा प्रबंधक और कर्मचारियों पर एफआईआर होगी?
- क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा?
पीड़ित की मांग: सिद्धार्थ पांडे ने बैंक के उच्चाधिकारियों और प्रशासन से मांग की है कि रजत लाल व ओम पटेल जैसे भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए।
यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि बैंकिंग व्यवस्था में बढ़ती भ्रष्ट मानसिकता और जवाबदेही के अभाव को उजागर करता है। अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में आम लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा।