कोरबा में SECL खदान की सीमा पर बड़ा हादसा : कोयला चोरी कर रहे दो युवकों की मौत, एक गंभीर घायल; प्रबंधन और सुरक्षा तंत्र पर उठे सवाल…

कोरबा/दीपका। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल (SECL) की गेवरा और दीपका कोयला खदान की सीमा पर मंगलवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। अवैध रूप से कोयला चोरी करने घुसे तीन युवकों में से दो की खदान धंसने से मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि खदान क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था किस हद तक नाकाम है।
मारे गए युवक, गरीब बस्तियों से उठी दो लाशें : मृतकों की पहचान 18 वर्षीय विशाल यादव और 24 वर्षीय धन सिंह कंवर के रूप में हुई है। तीसरा युवक साहिल धनवार (19) किसी तरह अपनी जान बचाकर बाहर निकल आया और गांव में पहुंचकर घटना की जानकारी दी। घायल साहिल को तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, शव मलबे में दबे : घटना के बाद पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंचे और दोनों युवकों के शवों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। बताया जा रहा है कि दोनों के शव खदान के मलबे में कुछ फीट नीचे दबे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में इस तरह की घटना हुई हो।
प्रशासन और प्रबंधन पल्ला झाड़ते नजर आए : एसईसीएल के पीआरओ शनिष चन्द्र ने बयान जारी करते हुए दावा किया कि गेवरा प्रोजेक्ट में खनन गतिविधियों के दौरान किसी प्रकार की कोई दुर्घटना नहीं हुई है और न ही कोई कर्मी इस घटना में हताहत हुआ है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह हादसा खदान की खुदाई वाली मुख्य जगह से करीब 20-25 फीट ऊपर हुआ, जहां कुछ लोगों द्वारा अवैध कोयला खनन की कोशिश की जा रही थी।
प्रश्न खड़े करता है यह हादसा :
- अगर यह क्षेत्र एसईसीएल की आधिकारिक खनन सीमा में नहीं आता, तो वहां इतनी बड़ी मात्रा में कोयला कैसे पड़ा था?
- खदान क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी के तमाम दावे कहाँ थे जब युवक आसानी से घुसकर कोयला चोरी कर रहे थे?
- क्या यह ‘कोयला माफिया’ और खदान प्रबंधन की मिलीभगत का नतीजा है?
स्थानीय समाजशास्त्री बोले – हादसा नहीं, प्रशासनिक हत्या : स्थानीय जनसंगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह महज़ एक हादसा नहीं बल्कि गरीब और हाशिये पर जी रहे युवाओं की एक “प्रशासनिक हत्या” है। बेरोजगारी, गरीबी और खदान क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था ने युवाओं को जान जोखिम में डालकर कोयला चोरी करने को मजबूर कर दिया।
जनहित में ज़रूरी सवाल :
- क्या एसईसीएल और जिला प्रशासन इन युवकों की मौत की ज़िम्मेदारी लेगा?
- क्या खदान क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की खुली पोल पर कोई जांच होगी?
- क्या खदानों के नाम पर आदिवासी और गरीब तबकों को मौत की ओर धकेला जा रहा है?
यह घटना केवल दो मौतों की नहीं है, यह खनन नीति, स्थानीय प्रशासन, एसईसीएल की जवाबदेही और हाशिये के समाज की त्रासदी का आईना है। जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, ऐसी मौतें “हादसे” नहीं, एक साजिश कहलाएंगी।