कबीरधाम : जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार: अफसर-ठेकेदार गठजोड़ से लाखों का घोटाला, फर्जी रिपोर्टिंग से छला गया ग्रामीणों को…
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कबीरधाम। जिले के सरहदी गांव पैलपार में जल जीवन मिशन का कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। 97.84 लाख रुपये की लागत से हुए इस कार्य में भारी अनियमितताओं की पोल खुल गई है। गांव में अधूरे और घटिया निर्माण की तस्वीरें खुद गवाही दे रही हैं। कहीं पानी की टंकी से रिसाव हो रहा है, तो कहीं बाउंड्रीवाल बिना कॉलम के बनाई गई है। टूटा हुआ गेट, अधूरी छबाई और हवा में लटकती सीढ़ी इस योजना की जमीनी सच्चाई को उजागर कर रही हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के अधिकारियों ने इस अधूरे और निम्न गुणवत्ता वाले कार्य को स्वीकृत ड्राइंग और डिज़ाइन के अनुसार पूरा हुआ बता दिया। ग्रामीणों ने जब इस भ्रष्टाचार की शिकायत की, तो जांच उन्हीं अधिकारियों ने की, जिनकी निगरानी में यह पूरा घोटाला हुआ था।
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कैसे हुआ घोटाला?
- शिकायत के बाद जब अधिकारी गांव पहुंचे, तो आनन-फानन में नलों में टोंटी लगाई गई और पानी बहाकर फोटो-वीडियो क्लिक किए गए।
- अफसरों के जाते ही टोंटी से पानी आना बंद हो गया, जिससे ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
- ऑनलाइन जनशिकायत में तथ्यात्मक शिकायतों का फर्जी निराकरण कर दिया गया।
- कार्यपालन अभियंता अपने भ्रष्ट इंजीनियरों और एसडीओ का बचाव करते नजर आ रहे हैं।
- एसओआर से 30-35% अधिक दर पर टेंडर स्वीकृत होने के बावजूद ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिल रहा।
महिला ने वीडियो में खोली पोल : जिस महिला की फोटो अपलोड कर अधिकारियों ने सब कुछ ठीक होने का दावा किया, उसने वीडियो में सच्चाई उजागर कर दी। महिला ने बताया कि अधिकारी आए, टोंटी लगाई, बाल्टी रखकर फोटो-वीडियो बनाई और चले गए। उनके जाते ही पानी बंद हो गया और आज तक गांव में पानी की समस्या बनी हुई है।
गुणवत्ता की खुली पोल :
- पानी की टंकी – टंकी में लगातार रिसाव हो रहा है और प्लास्टर से पैचिंग की गई है।
- सीढ़ी का निर्माण – टंकी पर चढ़ने के लिए बनाई गई सीढ़ी जमीन के बजाय हवा में बनी हुई है।
- बाउंड्रीवाल – बिना कॉलम के दीवार बनाई गई, जिसमें दरारें पड़ चुकी हैं।
- गेट – निर्माण कार्य में इस्तेमाल घटिया सामग्री के कारण गेट क्षतिग्रस्त हो चुका है।
अधिकारियों की लीपापोती : शिकायत के बाद सहायक अभियंता ने कार्यपालन अभियंता को 20 जनवरी को पत्र लिखकर ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने और गलत मूल्यांकन करने वाले उप-अभियंता को निलंबित करने की मांग की थी। लेकिन इसके जवाब में अधिकारियों ने कार्य को पूरा और स्वीकृत प्राक्कलन के अनुसार बताया।
मुख्यमंत्री कार्यालय तक भेजी झूठी रिपोर्ट : ठेकेदार और अधिकारियों की साठगांठ के कारण मुख्यमंत्री कार्यालय को भी गुमराह किया गया। नल चालू कर फोटो खींचकर भेज दी गई, जबकि हकीकत में ग्रामीणों को आज भी पानी नहीं मिल रहा।
कब होगी कार्यवाही? प्रदेश में साय सरकार ने सत्ता संभालने के बाद आधा दर्जन से अधिक कार्यपालन अभियंताओं और इंजीनियरों पर कार्रवाई की है। लेकिन क्या डिप्टी सीएम के गृह जिले में चल रहे इस घोटाले पर भी गाज गिरेगी या इसे ले-देकर रफा-दफा कर दिया जाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।