औद्योगिक हत्या या हादसा? BS स्पंज आयरन के फर्नेस में झुलसा दीपक, लापरवाही ने निगल ली ज़िंदा जान!…

रायगढ़ | छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी रायगढ़ में एक बार फिर मुनाफाखोर पूंजीपतियों की लापरवाही ने एक ईमानदार मज़दूर की जान ले ली। पूंजीपथरा थाना क्षेत्र के तराईमाल स्थित BS स्पंज आयरन कंपनी में फर्नेस नंबर-7 में हुए भीषण ब्लास्ट में बिहार के मधेपुरा निवासी 26 वर्षीय क्रेन ऑपरेटर दीपक कुमार जिंदा जल गया।
इस हृदयविदारक हादसे ने केवल एक युवक की जान नहीं ली, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी, प्रबंधन की गैरजवाबदेही और सुरक्षा इंतज़ामों की पोल खोल कर रख दी है।
धमाका, चीख और मौत – औद्योगिक नरसंहार की कहानी :दीपक कुमार, जो BS स्पंज आयरन में ईओटी क्रेन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था, हादसे के दिन अपनी ड्यूटी पर तैनात था। तभी अचानक फर्नेस नंबर 7 में जोरदार विस्फोट हुआ। धमाके की तीव्रता से उसका संतुलन बिगड़ गया और वह सीधे उबलते हुए गर्म स्लैग में जा गिरा।
गर्म लोहे में गिरते ही दीपक की चीखें गूंज उठीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह गंभीर रूप से झुलस चुका था और कुछ ही देर में उसकी हालत नाजुक हो गई।
अस्पताल पहुंचा तो सांसें थम चुकी थीं : कंपनी प्रबंधन ने घबराकर दीपक को किसी तरह गर्म स्लैग से बाहर निकाला और अपेक्स हॉस्पिटल रायगढ़ पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद दीपक की जान नहीं बचाई जा सकी।
यह एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित लापरवाही का परिणाम था।
सुरक्षा नहीं, केवल दिखावा: सवालों के घेरे में प्रबंधन : कर्मचारियों और जानकारों का आरोप है कि BS स्पंज आयरन कंपनी में सुरक्षा के नाम पर दिखावा किया जाता है। ना तो कर्मचारियों को उचित सुरक्षा किट दी जाती है, ना ही फर्नेस जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम या प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद रहता है।
यदि जरूरी एहतियात बरती जाती, तो शायद दीपक आज जिंदा होता।
पुलिस ने दर्ज की मर्ग, FIR और गिरफ्तारी कब? – पूंजीपथरा थाना प्रभारी राकेश मिश्रा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि जूटमिल पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराया है। केस डायरी थाना आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन सवाल यह है –
केवल मर्ग कायम करने से क्या दीपक को न्याय मिलेगा?
क्या कंपनी प्रबंधन पर गैर इरादतन हत्या की धाराएं लगेंगी?
या एक और मज़दूर की मौत को सिस्टम दबा देगा?
अब सवाल नहीं, जवाब चाहिए :
- BS स्पंज आयरन के जिम्मेदारों पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ?
- फर्नेस जैसी उच्च जोखिम वाली यूनिट में पर्याप्त सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं थे?
- क्या मज़दूरों की जान की कोई कीमत नहीं है?
दीपक की मौत चुप्पी नहीं, चीख बनकर गूंज रही है : यह सिर्फ दीपक की मौत नहीं, हर उस श्रमिक की कहानी है जिसे काम की जगह पर सुरक्षा के नाम पर झूठा भरोसा दिया जाता है।
यह मौत सिस्टम, कंपनी और सत्ता की चुप्पी का नतीजा है।
❗ अब चुप रहना गुनाह है। बोलो – दीपक को न्याय दो!
❗ औद्योगिक लापरवाही को अपराध घोषित करो!
❗ हर मौत की कीमत हो, हर दोषी की गिरफ्तारी हो!