असम से छत्तीसगढ़ आये दो भैंसों ने खा लिया 17 लाख रुपए का चारा??…जाने क्या है पूरा मामला…
छत्तीसगढ़ के वनविभाग के खेल की चर्चा हमेशा बनी रहती है। विभाग अक्सर घोटाले व अपने अलग कारनामो की वजह से चर्चा में बना रहता है।वन विभाग के अफसरों पर अक्सर घोटाले के आरोप लगते रहे है। मामला बनने के बाद जांच का खेल चलता है,उसके बाद कभी कोई कार्रवाही हो यह कहना बड़ा कठिन है। जंगलों के अंदर करोड़ो के तालाब सहित डब्ल्यूबीएम सड़कें बनाकर अपनी जेबें अधिकारी गरम करने में लगे है। आखिर इस भ्रष्टाचार को कौन दूर करेगा।
छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण में असम से 2020 में लाकर बाड़े में रखे गए एक नर और एक मादा वन भैसों पर लाखों रुपए खर्च हो चुके है. जानकारी बताती है कि वर्ष 22-23 में दोनों के पौष्टिक आहार, दवाई और अन्य सामग्री पर 17 लाख 22 हजार 896 रुपए खर्च किए गए. बाद में, अप्रैल 2023 में असम से चार मादा सब-एडल्ट वन भैंसे और लाई गई. इस प्रकार संख्या 6 हो गई. इन छ: वन भैंसों पर वर्ष 23-24 में भोजन, घास, बीज रोपण, चना, खरी, पैरा कुट्टी, दलिया और रखरखाव पर 24 लाख 94 हजार 474 खर्च किए गए.
वन्य जीव प्रेमी नितिन ने विभाग से पूछे सवाल : असम से लाए गए जंगली भैंसों को छत्तीसगढ़ लाने का शुरू से विरोध कर रहे रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) से पूछा कि असम के वन भैसों का छत्तीसगढ़ में क्या करेंगे? इसका खुलासा जनता को करें या हर साल जनता की गाढ़ी कमाई का 25 लाख खर्चा करेंगे? सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग की अदूरदर्शिता का परिणाम जनता भोग रही है। इन्हें वापस असम भेज देना चाहिए। साथ ही यहां के वन विभाग द्वारा की जा रही फिजूल खर्च और अधिकारियों के दूरदर्शिता पर भी सवाल उठाए हैं।
क्या अब इस मामले की जांच साय सरकार के वन मंत्री केदार कश्यप करवाएंगे?…आखिर वन विभाग में करोड़ो रूपये के गोलमाल की बाते अकसर सामने आती है, इस पर सरकार बड़ी कार्यवाह क्यो नही करती है। ऐसी बातें आज हर जगह सुनने में आती है। देश के बिहार चारा घोटाले की तरह यह घोटाला भी किया गया है। सरकार को इस मामले की जांच करवानी चाहिए।पर सरकार अब इस मामले में क्या करेगी यह भी आम जनता समझती है।