अम्बिकापुर

अंबिकापुर : बाल संप्रेक्षण गृह से तीन नाबालिग फरार, सुरक्षा व्यवस्था पर फिर उठे गंभीर सवाल…

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में बाल संप्रेक्षण गृहों की सुरक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। अंबिकापुर के गंगापुर स्थित बाल संप्रेक्षण गृह से तीन नाबालिग अपचारी फरार हो गए। बताया जा रहा है कि तीनों देर रात दीवार फांदकर भाग निकले। ये सभी सूरजपुर और अंबिकापुर जिले के निवासी हैं। घटना के बाद गांधी नगर थाने में मामला दर्ज किया गया और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है, लेकिन प्राप्त जानकारी अनुसार अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

बाल संप्रेक्षण गृह या भागने का अड्डा? : बाल संप्रेक्षण गृह, जहां अपराधों में लिप्त नाबालिगों को सुधारने के लिए रखा जाता है, वहीं लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं ने इस व्यवस्था की पोल खोल दी है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश के इन सुधार गृहों में सुधार से ज्यादा, फरार होने के अवसर मिल रहे हैं।

यह पहली घटना नहीं है। 1 फरवरी 2025 को रायपुर के बाल संप्रेक्षण गृह से 7 नाबालिग फरार हो गए थे, जिनमें से केवल एक को ही पकड़ने में सफलता मिली थी। फरार हुए इन नाबालिगों पर हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के मामले दर्ज थे। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि एक माह पहले भी इसी संप्रेक्षण गृह से 6 अपचारी बालक फरार हो गए थे।

महासमुंद जिले में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां चार महीने पहले चार अपचारी बालकों ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और मुख्य द्वार से फरार हो गए। इनमें से दो बालक चोरी, एक बलात्कार और एक गांजा तस्करी के मामले में संलिप्त थे।

सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, आखिर कौन है जिम्मेदार? : बाल संप्रेक्षण गृहों में सुरक्षा के मानकों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा? आखिर कैसे इन नाबालिगों को बार-बार भागने का मौका मिल जाता है? क्या यह प्रशासन की लापरवाही है, या फिर इन सुधार गृहों के भीतर ही कोई मिलीभगत चल रही है?

अगर इन घटनाओं पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया, तो भविष्य में यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। ऐसे नाबालिग जो संगीन अपराधों में लिप्त हैं, उनके इस तरह खुलेआम भाग निकलने से समाज में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ती है।

कानून के निर्देश भी हो रहे हैं अनदेखे : बाल अपराधियों के सुधार और पुनर्वास के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2018 में विशेष दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें संप्रेक्षण गृहों की सुरक्षा को लेकर सख्त प्रावधान थे। लेकिन छत्तीसगढ़ में बढ़ रही इन घटनाओं को देखते हुए यह साफ है कि उन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा।

अब क्या करेगी सरकार? : अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन कब तक इन घटनाओं को अनदेखा करेगा? क्या हर बार एक नई घटना का इंतजार किया जाएगा? अगर समय रहते सरकार और प्रशासन ने कठोर कदम नहीं उठाए, तो बाल संप्रेक्षण गृह अपराधियों की सुधारशाला के बजाय अपराध की पाठशाला बन जाएंगे।

अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाते हैं या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!